फंसाने के लिए दर्ज कराया था झूठा दुष्कर्म का केस, 8 साल बाद कोर्ट ने दिया ये फैसला

by Kakajee News

दालत ने छेड़खानी और दुष्कर्म के आरोपी को आठ साल बाद बरी कर दिया। आठ साल बाद माथे ये कलंक हटा तो पीड़ित भावुक हो गया। उसने कहा कि न्यायालय पर पूरा भरोसा था। अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया। वहीं वादी के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। जैथरा कस्बा निवासी एक पीड़िता ने 23 जून 2016 को जैथरा कस्बा के मोहल्ला नेहरू नगर निवासी स्वतंत्र पत्रकार सुनील कुमार सहित तीन लोगों के विरुद्ध छेड़खानी का अभियोग पंजीकृत कराया था।
जैथरा के तत्कालीन थानाध्यक्ष कैलाश चंद्र दुबे ने 22 जून 2016 की कथित छेड़खानी की घटना में सुनील कुमार को 23 जून को गिरफ्तार कर 24 जून को हथकड़ी में ले जाकर जेल भेज दिया था। 16 जुलाई को जमानत पर छूटने के बाद पीड़ित पत्रकार ने तत्कालीन एसएसपी से अग्रिम विवेचना कराने का अनुरोध किया।

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एसएसपी के आदेश पर विवेचक ने कोर्ट की अनुमति के बाद अग्रिम विवेचना की, जिसमें सुनील कुमार की नामजदगी गलत पाई गई। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट की अदालत में मुकदमें की सुनवाई शुरू हुई। पीड़िता ने कंप्यूटर स्क्रीन पर अभियुक्त को पहचानने से इन्कार कर दिया। पीड़िता की मां ने भी कथित घटना का समर्थन नहीं किया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश ने सुनील सहित दूसरे आरोपी वीरेंद्र कुमार को बरी कर दिया। वहीं, कोर्ट ने वादिया द्वारा न्यायालय में झूठे साक्ष्य प्रस्तुत करने पर उसके विरुद्ध परिवाद दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट का फैसला सुनते ही सुनील भावुक हो गए। कहा कि उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा था।
मिल चुका है दो लाख का मुआवजा
पीड़ित पत्रकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत की थी थी। जहां छह साल चली लंबी जांच के बाद तत्कालीन एसएसपी अजय शंकर राय, तत्कालीन जैथरा थानाध्यक्ष कैलाश चंद्र दुबे, विवेचक मदन मुरारी द्विवेदी को दोषी पाते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए डीजीपी को आदेश दिए गए। साथ ही, प्रदेश के मुख्य सचिव को पीड़ित पत्रकार को दो लाख रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया गया था। तत्कालीन एसएसपी उदय शंकर सिंह ने 22 मार्च 2022 को पीड़ित के खाते में दो लाख रुपये की राशि का ट्रेजरी से भुगतान करा दिया।
एसएसपी सहित फंस चुके हैं छह पुलिसकर्मी
पत्रकार को झूठे मुकदमे में फंसाने के मामले में अब तक छह पुलिसकर्मी फंस चुके हैं। तत्कालीन एसएसपी, एसओ व विवेचक पर आयोग कार्रवाई के आदेश दे चुका है। वहीं एसएसपी स्तर से एक हैड मोहर्रिर सहित तीन पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जा चुकी है।

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