रायगढ़। जिले में हाथी और मानव के बीच द्वंद्व को रोकने धमरजयगढ़ वन मंडल की पहल पर बिलासपुर से आये प्रकृति सेवा संस्थान के प्रशिक्षकों के द्वारा अब हाथी प्रभावित गांव के ग्रामीणों को जैविक हल्दी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आज एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के दौरान छाल रेंज के बोजिया और कांसाबहार के किसानों को जैविक हल्दी का प्रशिक्षण एवं किट वितरण किया गया।
इस मामले में जानकारी देते हुए छाल वन परिक्षेत्र के डिप्टी रेंजर चंद्रविजय सिदार ने बताया कि वन प्रबंधन समिति बोजिया और कांसाबहार के चिन्हांकित 80 से अधिक किसानों के लिये एक दिवसीय जैविक हल्दी खेती के संबंध में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया था। यह दोनों गांव हाथी प्रभावित क्षेत्र में आता है, जहां आये दिन विचरण के दौरान हाथी यहां के किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं।
उन्होंने बताया कि किसानों को होनें वाले इस नुकसान को देखते हुए फसल चक्र में परिवर्तन कर जैविक खेती के संबंध में प्रकृति सेवा संस्थान बिलासपुर से आये प्रशिक्षक के द्वारा जैविक हल्दी की खेती कैसे किया जाये, कब किया जाये, क्या कीटनाशक डाला जाये, इस संबंध में विस्तार से किसानों को बताया गया।
डिप्टी रेंजर चंद्रविजय सिदार ने बताया कि हल्दी की खेती करने का मुख्य वजह हाथी और मानव के बीच द्वंद्व को रोकना भी है। किसान अपनी फसल को बचाने जंगल से लगे अपने खेतों तक पहुंचते हैं। जिससे कभी भी अनहोनी की घटना बनी रहती है। यह खेती हाथी और मानव के बीच द्वंद्व रोकने में कारगर साबित होगा। क्योंकि कोई भी वन्य प्राणी न तो हल्दी की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं और न ही उसके पत्तों को खाते हैं। निश्चित रूप से आने वाले समय में यह प्रशिक्षण कारगर साबित होगा।