- धनवादा के खिलाफ भाजपा युवा नेताओं ने खोला मोर्चा, एसडीएम को सौंपा ज्ञापन
धरमजयगढ़। विकास खण्ड धरमजयगढ़ के भालूपखना में धनवादा कंपनी द्वारा स्थापित किये जा रहे जल विद्युत परियोजना में आये दिन नया-नया कारनामा देखने सुनने को मिल रहा है। विवादों में घीरा धनवादा कंपनी पर ग्रामीणों ने वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए काम बंद करवा दिया था। ग्रामीणों द्वारा काम बंद करवा देने पर कंपनी वालों ने सरपंच पति के खिलाफ पुलिस थाना में लिखित शिकायत किया है।
मजेदार बात है कि ग्रामीणों द्वारा काम बंद करवा देने के बाद कंपनी वालों ने इसकी शिकायत एसडीएम धरमजयगढ़ से करने पर एसडीएम के निर्देश पर नायब तहसीलदार उज्जवल पाण्डेय धनवादा के जल विद्युत परियोजना भालूपखना गांव जाकर ग्रामीणों को समझाइश देते हुए फोन पर सरपंच पति को गाली गलौज के साथ-साथ सरपंच पद से हटाने की धमकी दिया गया था। जिसकी शिकायत सरपंच पति खेमसागर यादव द्वारा पुलिस चौंकी रैरूमा खुर्द में 3 अप्रैल को किया गया है। सरपंच पति की लिखित शिकायत के बाद प्रशासनिक अधिकारियों में मानो भू-चाल सा आ गया। सरपंच पति को न जाने कौन-कौन अधिकारी फोन कर समझाइश दिया गया। जब देखा कि सरपंच पति नहीं मान रहे हैं तो इनको कानूनी झंझट में फंसाया जाए। इसके लिए नया दाव पेंच कंपनी वालों और अधिकारियों ने मिलकर शुरू किया, और 3 अप्रैल को ही धनवादा कंपनी के अधिकारी पुलिस थाना धरमजयगढ़ में एक लिखित शिकायत सरपंच पति और एक स्थानीय युवक के खिलाफ दिया। अब सवाल उठता है कि क्या अपनी हक मांगना गुना है? ग्रामीणों ने तो मांग किया था कि इनके खेत में बिना अनुमति के मिट्टी पत्थर को डम्प कर दिया गया है उसको हटा दे और कुछ मूलभूत सुविधा कंपनी वाले ग्रामीणों को उपलब्ध करवाएं। लेकिन कंपनी वालों की दादागिरी इतना अधिक है कि ये लोग सरपंच पति और एक स्थानीय युवक के ऊपर ही गलत आरोप लगा कर थाने में शिकायत दर्ज करवा दिया।
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ग्रामीणों को धमकाने के लिए धनवाद कंपनी ने लिया मीडिया का सहारा
मजेदार बात है कि धनवादा कंपनी वालों ने ग्रामीणों को धमकाने के लिए कुछ सोशल मीडिया वालों का साथ लिया गया और सरपंच पति के खिलाफ पुलिस थाना में शिकायत का कॉपी सोशल मीडिया वालों को उपलब्ध करवाया ताकि आंदोलन करने वालों को इसकी खबर लगे। और कंपनी वाले अपने मंसुबे में कामयाब हो सके। और हुआ भी वही जो कंपनी वाले चाहते थे, आंदोलनकारी इनके झूठे शिकायत से डरकर पीछे हट गये।
सरपंच पति ने लिया शिकायत वापस
सरपंच पति ने पुलिस चौंकी में दिये गये आवेदन लेख किया है कि मेरे द्वारा 3 मार्च को नायब तहसीलादर उज्जवल पाण्डेय पर गाली गलौच कर सरपंच पद से तत्काल हटाने की धमकी देने के संबंध में रिपोर्ट दर्ज करवाया था। जिसे मैं इस संबंध में लिखित आवेदन को वापस लेना चाहता हूं। मुझ पर कोई किसी प्रकार का दबाव नहीं है। आप खुद सोचिए क्या एक अदना सा सरपंच पति किसी प्रशानिक अधिकारी पर इतना गंभीर आरोप लगा सकता है क्या? और अगर सरपंच पति द्वारा नायब तहसीलदार पर झूठा आरोप लगाते हुए पुलिस थाना में लिखित आवेदन दिया गया है तो फिर क्या सरपंच पति के ऊपर कार्यवाही होगा? क्योंकि सरपंच पति द्वारा एक कार्यपालिक दंडा अधिकारी ऐसा आरोप लगाया है इसकी तो जांच होनी ही चाहिए। नहीं तो आये दिन कोई न कोई ऐसे झूठा आरोप स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों पर लगाता रहेगा। और अगर इस आवेदन पर कोई जांच या कार्यवाही नहीं होता है तो आप समझ जाएगा कि दाल में काला नहीं पूरी की पूरी दाल ही काला है।
सरपंच पति पर होगी कार्यवाही या फिर कंपनी का शिकायत भी टॉय-टॉय फीस?
धनवादा कंपनी द्वारा सरपंच पति और एक स्थानीय युवक पर नामजद आवेदन पेश कर कार्यवाही की मांग की है, इनके द्वारा कई आरोप लगाये गये हैं। जिस प्रकार सरपंच पति द्वारा नायब तहसीलदार के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस चौंकी में शिकायत किया था और फिर नौटंकी करते हुए शिकायत को वापस लेेने का आवेदन 5 अप्रैल को पुलिस चौंकी में दिया। इसके बाद सावाल उठ रहा है कि सरपंच पति द्वारा शिकायत वापस लेने के बाद कंपनी वालों ने जो आवेदन सरपंच पति और एक युवक पर लगाया है उस पर कार्यवाही होगा या फिर धनवादा कंपनी की शिकायत भी टॉय-टॉय फीस हो जायेगा? ऐसे शिकायत बाजों पर पुलिस को कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।