छत्तीसगढ़ में आरडीएसएस योजना (रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम) के तहत हुए 300 करोड़ रुपये के टेंडर घोटाले का मामला सामने आया है। आरोप है कि राज्य विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों ने टेंडर नियमों में हेरफेर कर अपने पसंदीदा ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया। यह योजना उन इलाकों में बिजली पहुंचाने के लिए है जहां अब तक बिजली नहीं पहुंची है।
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घोटाले की प्रमुख बातें:
- टेंडर में संशोधन:
केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार टेंडर प्रक्रिया में बीड कैपेसिटी की गणना 5 वर्ष के टर्नओवर और एन को 3 मानकर करनी थी। लेकिन अधिकारियों ने इसे बदलकर 3 वर्ष के टर्नओवर और एन को 1 कर दिया, जिससे छोटे ठेकेदार प्रक्रिया से बाहर हो गए। - बड़े ठेकेदारों को लाभ:
संशोधन के कारण केवल बड़े ठेकेदारों को ही काम मिला। आरोप है कि यह बदलाव अधिकारियों द्वारा कमीशन लेने के लिए किया गया। - शिकायत और जांच की मांग:
एक ठेकेदार ने केंद्रीय मंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री को लिखित शिकायत दी है। इसमें टेंडर प्रक्रिया में हुए संशोधन और उससे जुड़े अधिकारियों की भूमिका की जांच की मांग की गई है। - आर्थिक नुकसान:
छोटे ठेकेदारों के बाहर होने और प्रतिस्पर्धा की कमी के कारण राज्य सरकार को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा। - कमीशन का आरोप:
सूत्रों के अनुसार, परियोजना के मुख्य अभियंता ने 4% कमीशन के लालच में टेंडर प्रक्रिया को मैनेज किया।
घोटाले के दस्तावेजी सबूतों के साथ शिकायत दर्ज की गई है। यदि निष्पक्ष जांच होती है, तो संबंधित अधिकारियों के काले कारनामे उजागर होने की संभावना है।
यह मामला छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का गंभीर उदाहरण है। अब यह देखना होगा कि केंद्रीय और राज्य सरकारें इस पर क्या कदम उठाती हैं और दोषियों को सजा दिलाने में कितनी तत्परता दिखाती हैं।