रायगढ़। नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा होते ही चुनावी मैदान में कूदने वाले दावेदारों की होड लग गई है। जिसमें सबसे ज्यादा भाजपा के लिये बड़ी चुनौती सामने आ रही है। जिला मुख्यालय रायगढ़ में नगर निगम चुनाव को लेकर सरगर्मी तो तेज हो चुकी है। पर मैदान में उतरने वाले प्रत्याशियों में जिस प्रकार एक के बाद एक नये चेहरे सामने आ रहे हैं उसको लेकर संगठन के बीच देर सबेर दरार सुनिश्चित है। कारण यह भी है कि पांच साल बाद भाजपा फिर से सत्ता में काबिज हुई है और इसका सुख भोगने के लिये हर वार्ड में एक दर्जन से भी अधिक दावेदार टिकट के लिये लाइन लगा चुके हैं। महापौर पद के लिये तो यह लिस्ट इतनी लंबी है कि जिला मुख्यालय रायगढ़ से लेकर राजधानी रायपुर में बड़े नेताओं ने अपना सिर पकड लिया है।
रायगढ नगर निगम में 48 वार्डो के साथ-साथ महापौर पद के लिये किनको-किनको भाजपा प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारेगी इसके उपर हाईकमान कब निर्णय लेगा यह तो आने वाला वक्त बतायेगा लेकिन काकाजी के सूत्र बताते हैं कि इस बार भाजपा के लिये निगम चुनाव आसान नही है। महत्वपूर्ण बात यह है कि हर वार्ड में जिस प्रकार पार्षद पद के लिये मैदान में कूदने के लिये उतारू चेहरे एक के बाद एक दावा ठोक रहे हैं उसको लेकर पार्टी के पदाधिकारियों की नींद उड़ गई है। कहने को तो संगठन के लोग इसे ठीक-ठाक माहौल बता रहे हैं लेकिन अंदर ही अंदर गुटीय राजनीति बनती जा रही है।
नये अध्यक्ष के लिये नई चुनौती
उमेश अग्रवाल के बाद नये जिलाध्यक्ष के रूप में अरूणधर दीवान को जिम्मेदारी सौंपी गई है और अरूणधर दीवान के पद्भार ग्रहण करते ही जिस प्रकार शहर के लोगों ने अपना नाम आगे करते हुए मैदान में उतरने की घोषणा की है उसको लेकर जिला भाजपा अध्यक्ष खासे परेशान हैं, चूंकि उनके लिये यह सब बिल्कुल नया है और पार्टी के पुराने चेहरे जो पहले से ही चुनाव दर चुनाव जीतते आ रहे हैं उनकी जगह नये लोगों को सामने लाने की मंशा उनके मन में ही रह गई है। सूत्र यह भी बताते हैं कि उनके पास सबसे बड़ी चुनौती महापौर पद की सबसे बड़ी लिस्ट है जिसमें दो नाम तय करके हाईकमान के पास भेजने हैं और वो दो नाम कब सामने आयेंगे यह तो जल्द साफ हो जायेगा पर जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे पार्टी के भीतर चुनौती बढ़ती भी जा रही है।
पुराने चेहरे बिगाडेंगे भाजपा का खेल
काकाजी के सूत्र बताते हैं कि रायगढ़ नगर निगम चुनाव में अधिकांश वार्डो में लगातार चुनावी मैदान में जीतकर आने वाले वो चेहरे फिर से मैदान में उतरने के लिये ताल ठोंक चुके हैं जो पार्टी के कोई भी इशारे को नही समझ रहे हैं और यही कारण है कि पुराने चेहरे के सामने आने से भाजपा का नगर निगम में पुरे दमखम के साथ आना लटका रहा है। इतना ही नही रायगढ़ विधायक व प्रदेश के वित्त मंत्री ओपी भी इस बात को समझ चुके हैं टिकट वितरण के दौरान छोटी सी अनदेखी भारी पड़ सकती है। बहरहाल देखना यह है कि पांच साल बाद फिर से सत्ता में आने के बाद इस बार नगर निगम में जीत का सेहरा किस पार्टी के उपर बनता है।